Sunday 24 May 2009

मातोश्री में डॉन...

राजनेताओं और अंडरवर्ल्ड के बीच रिश्तों की बातें हमेशा ही सुनने को मिलती रहती है, लेकिन इनकी खुलेआम मुलाकात कम ही देखने को मिलती है। मुंबई में इन दिनों अंडरवर्ल्ड डॉन अश्विन नाइक और शिवसेना सुप्रीमो बालासाहिब ठाकरे के बीच हुई मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है। वैसे तो शिवसेना और अंडरवर्ल्ड के बीच रिश्तों की बात समय समय पर निकल कर आती रही है, लेकिन पिछले दिनों ९० के दसक में आतंक का पर्याय माने जाने वाला डॉन अश्विन नाइक अचानक बालासाहिब से मिलने उनके निवास मातोश्री पहुच गया जो मुंबई के लोगों के लिए काफी चौंकाने वाली बात रही।

जो अंडरवर्ल्ड डॉन अश्विन नाइक के बारे में कम जानते है उनको मै बताना चाहूँगा, कि अश्विन नाइक गैंगवार के जन्मदाता और कभी मुंबई पर राज करने वाला अमर नाइक का भाई है और ९० के दसक में उसकी तूती बोलती थी। अश्विन के ऊपर मुंबई और महाराष्ट्र में लगभग हत्या के १६ मामले दर्ज है। अभी हाल ही में अश्विन नाइक अपनी पत्नी और पूर्व पार्षद नीता नाइक की हत्या के मामले में जेल से छूटा है। जहाँ तक बालासाहिब से उसकी मुलाकात कि बात है तो जो खबर आ रही है, उसके मुताबिक शिवसेना अश्विन नाइक को आनेवाले विधानसभा चुनावों में मनसे के काट के रूप में स्तेमाल कर सकती है, क्योंकि लोकसभा में मनसे ने शिवसेना का काफी नुकसान किया था। जबकि मुंबई के कई इलाकों में अभी भी अश्विन की धाक बरकरार है।

आनेवाले विधानसभा चुनावों में अगर अश्विन नाइक शिवसेना का प्रचार करता नज़र आया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब सवाल ये उठता है की क्या आने वाले समय में भी यही गुंडा मवाली हमारे देश को चलाते रहेंगे? हम इस बात को लेकर खुश है कि लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी, पप्पू यादव, मुन्ना शुक्ला जैसे अपराधिक छवि के लोगों को जनता ने लोकसभा में नकार दिया, लेकिन अभी भी ४० से ज्यादा सांसद ऐसे लोकसभा में पहुंचे है जिनके ऊपर १० या उससे ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज है. अबू सलेम, अरुण गवली और आश्विन नाइक जैसे लोग लाइन में खडे है और हम ख़ुशी मना रहे है। सबसे ज्यादा दोष हमारे कानून व्यवस्था का है जो इन लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति देता है। अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं "जब लादेन हमारे देश का प्रधानमंत्री होगा".

Wednesday 13 May 2009

क्या मीडिया कांग्रेस की कठपुतली है ??

लोकसभा चुनाव का अंतिम दौर भी अब ख़त्म हो गया है और सारी मीडिया ने अपने अपने तरीके से कयास भी लगाने शुरू कर दिए है। हर चरण के मतदान के बाद हमारी तथाकथित मीडिया अपना अनुमान लोगों के सामने परोस रहा है। पता नहीं इन लोगों ने किसी वोटर से पूछा भी है या नहीं या फिर वोट देने के बाद कोई कितना सच वोलता है ये मैं नहीं जानता, लेकिन सारा मीडिया अपने अपने सर्वे के अनुसार लोगों को बता रहा है कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी और किसकी सरकार बनेगी।

कभी आपने सोचा है कि वो चाहे प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रोनिक मीडिया सबके अनुसार कांग्रेस ही सरकार बना रही है। कांग्रेस को ही सबसे ज्यादा सीटें मिल रही है। हर राज्य में जहाँ बीजेपी और अन्य पार्टियाँ मजबूत है वहां भी कांग्रेस को बढ़त दिखा रहे है। मैं ये नहीं कहता की कांग्रेस सरकार नहीं बना सकती या फिर मीडिया का अनुमान सही नहीं हो सकता, लेकिन आंकडे तो कम से कम ऐसे हो जिस पर यकीन किया जा सके। हिन्दुस्तान की पब्लिक इतनी भी मूर्ख नहीं है कि उसे सही गलत आंकडों का पता ही न चलता हो। अब एक नामी अंग्रेजी अखबार को ही ले लीजिये, वो कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में १५ सीटें दिलवा रही है। अब भाई इतनी तो कांग्रेस की विधानसभा की सीटें भी नहीं है। और कांग्रेस का खुद का अनुमान भी इतना नहीं बता रहा है। एक और हिंदी चॅनल पंजाब में जहाँ बीजेपी अकाली की सरकार है वहां बीजेपी अकाली को ३ सीटें बता रही है जो मेरी तो समझ से बाहर है।

ये तो बस कुछ का अनुमान बता रहा हूँ लिस्ट काफी लम्बी है, जिसपर हसीं भी आती है और गुस्सा भी, कि सारी मीडिया किस तरह कांग्रेस की कठपुतली बन गयी है। जाहिर सी बात है सरकार अभी कांग्रेस की है तो उसकी तो चाटना ही पड़ेगा। आपको याद होगा गुजरात में सारी मीडिया मोदी को हराने में लगी हुई थी और जब परिणाम आया तो सब बगुले झाकने लगे थे। ऐसा ही कुछ पंजाब और कर्णाटक में भी हुआ था। आने वाला परिणाम जो भी हो पर इस चाटुकार मीडिया को तो हार का सामना करना ही पड़ेगा. ..अरे भाई लोग ये पब्लिक है सब जानती है।

Thursday 7 May 2009

क्या ये राष्ट्रगान का अपमान नहीं है ???

हिन्दुस्तान में राष्ट्रगान को जितना सम्मान दिया जाता है, उतना शायद ही किसी और चीज़ को दिया जाता होगा। हर इंसान राष्ट्रगान को उतने ही सम्मान के साथ गाता है, जितना सम्मान वो अपनी माँ को देता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए राष्ट्रगान जैसे पवित्र गीत से खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आते। हमारी फ़िल्मी दुनिया इस मामले में सबसे आगे है। ताजा मामले में राष्ट्रगान के साथ खिलवाड़ किया है मशहूर फिल्मकार राम गोपाल वर्मा ने जिन्होंने अपनी फिल्म रन में राष्ट्रगान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। ये गाना राष्ट्रगान की पंक्तियों को लेकर बनाया गया है जो निश्चित रूप से एक जघन्य अपराध की तरह है।

हमारे कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति या संस्था को ये अधिकार नहीं है, की वो राष्ट्रगान के साथ खिलवाड़ कर सकें। राष्ट्रगान से खिलवाड़ राष्ट्र से खिलवाड़ जैसा है। मगर राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म रन में ऐसा ही अपराध किया है। अब रामगोपाल वर्मा को तो आप अच्छी तरह जानते है, जी हाँ ये वही फिल्मकार है, जिन्होंने रामगोपाल वर्मा की आग जैसी फिल्म बनायीं थी और सुपर फ्लॉप रही थी। उनके दिन तो अब अच्छे चल नहीं रहे है, तो उन्होंने सस्ती लोकप्रियता पाने और फिल्म को विवाद के जरिये सफल बनाने का ये आसन तरीका चुना है। और जवाब मांगने पर निपट लेने की धपकी भी दे रहे है।

दिल्ली में हुई प्रेस कांफ्रेंस में जब राम गोपाल वर्मा से इस बारे में पुछा गया तो उनका कहना था की उन्होंने कोई गलती नहीं की है और किसी ने अगर ऐतराज़ जताया तो उससे निपट भी लेंगे। इसे कहते है चोरी ऊपर से सीनाजोरी। फिल्म के बाकी कलाकार जैसे अमिताभ बच्चन इस मामले पर खामोशी की मुद्रा में दिखाई दिए। अब सवाल ये उठता है की इन २ कोडी के फिल्मकारों को किसने ये हक़ दिया की वो राष्ट्रगान का अपमान कर सके ?

आप भी सुनिए और फैसला कीजिये की क्या ये राष्ट्रगान का अपमान नहीं है??