Saturday 28 November 2009

मुसलमानों की एक और करतूत...

मुसलमानों और मुस्लिम देशों की करतूतों से तो हम सभी परिचित है लेकिन एक मामला ऐसा है जिसे सुनकर शायद आप इन्हें शांति का सबसे बड़ा दुश्मन करार दे देंगे..ये घटना मैंने पत्रिका वेबसाइट में पढ़ी है और आप लोगों को भी इस बारे में परिचित करना चाह रहा हूँ...अब मुद्दे की बात पे आता हूँ मुस्लिम देश ईरान की एक महिला जिसे शांति का नोबेल पुरूस्कार दिया गया था जो की नोबेल पुरुस्कारों के इतिहास में पहली मुस्लिम महिला को दिया गया था, उसका मेडल ईरान सरकार ने जब्त कर लिया है सिर्फ इसलिए क्योंकि वो महिला शांति की बात कर रही थी...पूरी जानकारी आप नीचे पढ़ सकते है...

नोबल पुरस्कार विजेता का मेडल जब्त

शांति का नोबेल जीतने वाली ईरानी महिला वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन इबादी का मेडल ईरान सरकार ने जब्त कर लिया है। नोबल पुरस्कारों के 108 साल के इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी नोबल विजेता का गोल्ड मेडल जब्त कर लिया गया। नार्वे के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह सचमुच चौंकाने वाली बात है।

इबादी को 2003 में लोकतंत्र और शांति स्थापना के लिए किए प्रयासों के लिए नोबल दिया गया था। इसके बाद से ही ईरानी आधिकारियों की प्रताड़ना का शिकार हो रही थी। हाल ही में तीन महीने पहले तेहरान रिवाल्यूनरी कोर्ट के आदेशों के आधार पर करीब तीन सप्ताह पहले उनके मेडल को छीन लिया गया। इबादी फिलहाल लंदन में है। उन्होंने बताया कि मेडल के अलावा इस सम्मान में मिली अन्य वस्तुएं भी जब्त कर ली गई है।

इबादी का कहना है कि सरकार ने उनके बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया है और उनसे ईनाम में मिली राशि पर करीब चार लाख डॉलर का टैक्स दिए जाने की मांग की जा रही है। जबकि ईरानी कानून में इस तरह के पुरस्कारों को किसी भी टैक्स से मुक्त रखा गया है।
इबादी का कहना है कि वह इतनी आसानी से डरने वाली नहीं शांति स्थापना के प्रयास जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की धमकियां उन्हें अपनी मातृभूमि से अलग नहीं कर सकती है। इबादी शांति का नोबल पुरस्कार जीतने वाली पहली मुस्लिम महिला है।

12 comments:

  1. भैया ये नोबेल और बुकर तो "अंधा बांटे रेवड़ी" रह गए हैं लेकिन इसे जब्त कर लेना............. हद है कठमुल्लेपन की!!

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  2. अब क्या कहें ऐसे देश को.....? इन लोगों ने शर्म , नैतिकता सब के बेच के चने खा लिए हैं....

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  3. ईश्वर उन्हें सद्-बुद्धि देना भी चाहे तो वे लेंगे नहीं...

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  4. इसमें धर्म की बात नहीं ईरान देश ही ऐंसा है एक और मुस्लिम कहने की क्या ज़रूरत है धर्म के नज़रिए से क्यों देखें..देश संस्कृति भाषा सभ्यताएं भी हैं ये सब देखने के लिए।

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  5. लगता है ईरान सरकार की इकोनोमिक गड़बड़ा रही है, तभी तो मैडल पर टैक्स मांग रही है....वैसे टैकस कितना आएगा....??? क्या टैक्स देकर वह मैडल छुड़ाया जा सकता है, और फिर उसकी निलामी की जा सकती है....वैसे यह लोकतंत्र के लिए ईरान के बारे में कह क्या रही हैं....खैर .....ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई थी....ईस्लामिक क्रांति किधर जा रही है....लोकतंत्र के मैडल को जब्त करती है, और टैक्स मांगती है....यह सांकेतिक है या कुछ और????

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  6. वरुण जी,
    मैंने मुसलमानों का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि सलीम खान जैसे लोग हमेशा अपने और अपने धर्म को शांति का प्रतीक बताते है...और ये मेडल इसलिए छीना गया है क्योंकि एक मुस्लिम महिला ने ये कारनामा किया था..जिसे कठमुल्ले पचा नहीं पाए.

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  7. मुसलमानों और मुस्लिम देशों की करतूतों से मैं परिचित नहीं,जिस धर्म का कोई देश है उन सबसे परिचित हूँ, सा‍थ ही आप जैसों की करतूतों से परिचित हूँ आपने इस पोस्‍ट में एकतरफा अपना ब्‍यान रखा है, इबादी ने क्‍या कहा? कैसे कहा? क्‍यों कहा? फिर ईरान की क्‍या प्रतिक्रिया थी सब गायब करके अपना भाषण घोंट रहे हो, शायद यह भी जानते ही नहीं होंगे कि ईरान भारत के मित्र देशों में आता है

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  8. उन देशों मे जो नहो वो कम ही है।

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  9. गालियां देना मेरी आदत नहीं इसलिये तुम पर हंसी आ रही है
    जिसे तुम मुसल्मानों की करतूत बता रहे हो वो नार्वे सरकार की फेलाई हुई गलतफहमी है,
    संपत्तीकर को नोबल,महिला और मुसल्मानो से जोड़ कर तुम कया साबित करना चाहते हो,
    साबित ये होता है कि तुम मानसिक विक्रती के शिकार हो।

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  10. ऐसी फितरते इनके रंगो मे दौडती है, बहुत ही अच्‍छी खोज

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  11. असद भाई गलियां देना मेरी भी आदत नहीं..जैसा की आपके कह देने से, की नोर्वे सरकार की फैलाई हुई ग़लतफहमी है, उससे हम सच्चाई को झुठला नहीं सकते. रही बात मुसलमानों से जोड़कर देखने की तो ये बात और भी पुख्ता हो जाती है, की आपको वो महिला गलत लग रही है..नोर्वे सरकार गलत लग रही है जबकि आपको ईरान सरकार की कोई गलती नज़र नहीं आ रही..

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  12. इरान कुरआन इ पाक को मानने वाला मूलक है और कुरान की माने तो' और जो इस्त्री ऐसी हो, जिसके विद्रोह से तुम्हें भय हो ,उन्हें डाटो , फटकारो......मारो.,'..(q .४.३४)

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