Saturday, 13 March 2010
टल्ली चंद की शादी का कार्ड.....
तो ये रहा टल्ली चंद की शादी का कार्ड.....
माँ दारू देवी की असीम अनुकंपा से पूरे नशे मे टुन्न होकर हुक्के के सनिध्य में हमे आज हर्षित होने का अवसर मिला है क्योंकि हमारी बिगड़ी औलाद..........
चिरंजीव - टल्ली चंद
कुपुत्र श्री - MARLBORO
तथा:
सौ. - बीडीकुमारी [DETAINED]
कुपुत्री श्री - GOLD FLAKE ...
विवाह बंधन में बँधने जा रहे है...आप सभी से अनुरोध है की इस पावन अवसर पर पधारे और भरपूर उत्पात मचाकर अपनी उपस्थिति को सार्थक बनाएँ...बारात ब्यावर की "देसी दारू की भट्टी" से निकलकर निकटवर्ती "अँग्रेज़ी शराब की दुकान" की ओर रात 1 बजे के बाद प्रस्थान करेगी......
पान - सुपारी :-- मेरे भैया की शादी में ज़लूल-ज़लूल आना...........
स्वागतोत्सुक:
WILLS, ULTRA MILD, ROYAL STAG, GREEN LABEL, JOHNNY WALKER
दर्शनाभिलाशी:
OLD MONK, 8 PM, Mc DOWEL, THUNDERBOLT, HAYWARD 5000
विनीत:
भांग, ठंडई, ५०२ पताका छाप बीडी, तिरंगा
....बोलो टल्ली महाराज की जय....
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Thursday, 7 January 2010
कमाल खान...युवा पत्रकारों का भगवान्
वैसे तो हर अच्छे रिपोर्टर में कोई न कोई खूबी होती है लेकिन कमाल खान की एक नहीं बल्कि कई खूबियाँ है. उनकी शानदार स्क्रिप्ट और जानदार पीटीसी का लोहा केवल पत्रकारिता जगत ही नहीं बल्कि वो लोग भी मानते है, जिनका मीडिया से कोई सरोकार नहीं है...यहाँ पर अगर में कमाल खान की पीटीसी का जिक्र न करूं तो ये लेख अधूरा माना जायेगा...हिंदी टीवी पत्रकारिता में पीटीसी का अहम् रोल माना जाता है बल्कि यूँ कहे की पीटीसी स्टोरी की जान होती है, तो गलत नहीं होगा. रवीश कुमार, विजय विद्रोही, कुमार विक्रांत आदि ऐसे कई नाम है जिनकी पीटीसी शानदार होती है...लेकिन इन सबके बीच कमाल खान पीटीसी के मामले में महाराजा है...ऐसा केवल में नहीं कह रहा हूँ जबकि कई टीवी चैनल के रहनुमा ऐसा मानते है...न्यूज़ २४ के मेनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम के मुताबिक वो रिपोर्टर की काबिलियत उसकी पीटीसी से मानते है और इस मामले में कमाल खान देश के अव्वल रिपोर्टर है...पीटीसी के अलावा कमाल की स्क्रिप्ट भी लोगों के दिलों को छू जाती है. उनका स्टोरी करने का अंदाज़ भी अलग होता है. कमाल खान की बुंदेलखंड के किसानों पर की गयी स्टोरी हो या बसपा की मुखिया बहनजी पर की गयी स्टोरी हो, सभी अपने आप में निराली थी...मदर डे पर की गयी उनकी स्टोरी और पीटीसी मेरे जहन में आज भी जीवित है...उसमे माँ के ऊपर की गयी पीटीसी का यहाँ जिक्र करूंगा...
''माँ तो जिस्म में सांसों सी रहती है,
जिन्दगी बनके हमारे दिलों में धड़कती है,
यक्ष ने युधिष्ठिर से यही पूंछा था...की इस धरती से बड़ी कौन
युधिष्ठिर ने कहा की माँ..
क्योंकि माँ इस धरती से ही बड़ी नहीं, बल्कि इस पूरी कायनात से भी बड़ी है''
ये सोच केवल कमाल खान की ही हो सकती है...
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Saturday, 28 November 2009
मुसलमानों की एक और करतूत...
नोबल पुरस्कार विजेता का मेडल जब्त
शांति का नोबेल जीतने वाली ईरानी महिला वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन इबादी का मेडल ईरान सरकार ने जब्त कर लिया है। नोबल पुरस्कारों के 108 साल के इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी नोबल विजेता का गोल्ड मेडल जब्त कर लिया गया। नार्वे के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह सचमुच चौंकाने वाली बात है।
इबादी को 2003 में लोकतंत्र और शांति स्थापना के लिए किए प्रयासों के लिए नोबल दिया गया था। इसके बाद से ही ईरानी आधिकारियों की प्रताड़ना का शिकार हो रही थी। हाल ही में तीन महीने पहले तेहरान रिवाल्यूनरी कोर्ट के आदेशों के आधार पर करीब तीन सप्ताह पहले उनके मेडल को छीन लिया गया। इबादी फिलहाल लंदन में है। उन्होंने बताया कि मेडल के अलावा इस सम्मान में मिली अन्य वस्तुएं भी जब्त कर ली गई है।
इबादी का कहना है कि सरकार ने उनके बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया है और उनसे ईनाम में मिली राशि पर करीब चार लाख डॉलर का टैक्स दिए जाने की मांग की जा रही है। जबकि ईरानी कानून में इस तरह के पुरस्कारों को किसी भी टैक्स से मुक्त रखा गया है।
इबादी का कहना है कि वह इतनी आसानी से डरने वाली नहीं शांति स्थापना के प्रयास जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की धमकियां उन्हें अपनी मातृभूमि से अलग नहीं कर सकती है। इबादी शांति का नोबल पुरस्कार जीतने वाली पहली मुस्लिम महिला है।
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Wednesday, 8 July 2009
चिट्ठाजगत कृपया मेरी समस्या का भी समाधान करें....
दरअसल कुछ दिन पहले मुझे अपने ब्लॉग पर एक्सपेरिमेंट करने की सूझी...बहुत समय से लोगों को नयी नयी थीम लगाते देख रहा था, सोचा ऐसा ही कुछ में भी करूँ। मगर वो कहते है न की अध जल गघरी छलकत जाये और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, अधुरा ज्ञान लेकर मैंने भी थीम बदलने की कोशिश कर डाली, हालाँकि इसमें मै कुछ हद तक सफल भी हो गया था लेकिन कहते है की जब समय ख़राब होता है तो बनता काम भी बिगड़ जाता है॥वो HTML जैसा कुछ होता है, उसे बार बार बदलने से मेरा कमेन्ट साफ़ दिखना बंद हो गया. जब आप लोग कमेन्ट करने जायेंगे तो खुद आपको दिखाई दे जायेगा.
काफी दिनों से उसे ठीक करने का असफल प्रयास कर चूका हू, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाया..मै ब्लॉगजगत में एक अदना सा लिक्खाड़ हूँ सो इस बारे में कुछ कम जानता हूँ...अब ये कमेन्ट बॉक्स मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा, सो थक हार कर आप लोगों से मदद की गुहार कर रहा हूँ....कृपया कमेन्ट कर मुझे उचित मार्गदर्शन करने की कोशिश करें...मै आप सब का तहे दिल से आभारी रहूँगा...
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Thursday, 11 June 2009
क्या इंडियन एक्सप्रेस की इस गलती को माफ़ किया जाना चाहिए??
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Sunday, 24 May 2009
मातोश्री में डॉन...
जो अंडरवर्ल्ड डॉन अश्विन नाइक के बारे में कम जानते है उनको मै बताना चाहूँगा, कि अश्विन नाइक गैंगवार के जन्मदाता और कभी मुंबई पर राज करने वाला अमर नाइक का भाई है और ९० के दसक में उसकी तूती बोलती थी। अश्विन के ऊपर मुंबई और महाराष्ट्र में लगभग हत्या के १६ मामले दर्ज है। अभी हाल ही में अश्विन नाइक अपनी पत्नी और पूर्व पार्षद नीता नाइक की हत्या के मामले में जेल से छूटा है। जहाँ तक बालासाहिब से उसकी मुलाकात कि बात है तो जो खबर आ रही है, उसके मुताबिक शिवसेना अश्विन नाइक को आनेवाले विधानसभा चुनावों में मनसे के काट के रूप में स्तेमाल कर सकती है, क्योंकि लोकसभा में मनसे ने शिवसेना का काफी नुकसान किया था। जबकि मुंबई के कई इलाकों में अभी भी अश्विन की धाक बरकरार है।
आनेवाले विधानसभा चुनावों में अगर अश्विन नाइक शिवसेना का प्रचार करता नज़र आया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अब सवाल ये उठता है की क्या आने वाले समय में भी यही गुंडा मवाली हमारे देश को चलाते रहेंगे? हम इस बात को लेकर खुश है कि लोकसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी, पप्पू यादव, मुन्ना शुक्ला जैसे अपराधिक छवि के लोगों को जनता ने लोकसभा में नकार दिया, लेकिन अभी भी ४० से ज्यादा सांसद ऐसे लोकसभा में पहुंचे है जिनके ऊपर १० या उससे ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज है. अबू सलेम, अरुण गवली और आश्विन नाइक जैसे लोग लाइन में खडे है और हम ख़ुशी मना रहे है। सबसे ज्यादा दोष हमारे कानून व्यवस्था का है जो इन लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति देता है। अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं "जब लादेन हमारे देश का प्रधानमंत्री होगा".
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Wednesday, 13 May 2009
क्या मीडिया कांग्रेस की कठपुतली है ??
कभी आपने सोचा है कि वो चाहे प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रोनिक मीडिया सबके अनुसार कांग्रेस ही सरकार बना रही है। कांग्रेस को ही सबसे ज्यादा सीटें मिल रही है। हर राज्य में जहाँ बीजेपी और अन्य पार्टियाँ मजबूत है वहां भी कांग्रेस को बढ़त दिखा रहे है। मैं ये नहीं कहता की कांग्रेस सरकार नहीं बना सकती या फिर मीडिया का अनुमान सही नहीं हो सकता, लेकिन आंकडे तो कम से कम ऐसे हो जिस पर यकीन किया जा सके। हिन्दुस्तान की पब्लिक इतनी भी मूर्ख नहीं है कि उसे सही गलत आंकडों का पता ही न चलता हो। अब एक नामी अंग्रेजी अखबार को ही ले लीजिये, वो कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में १५ सीटें दिलवा रही है। अब भाई इतनी तो कांग्रेस की विधानसभा की सीटें भी नहीं है। और कांग्रेस का खुद का अनुमान भी इतना नहीं बता रहा है। एक और हिंदी चॅनल पंजाब में जहाँ बीजेपी अकाली की सरकार है वहां बीजेपी अकाली को ३ सीटें बता रही है जो मेरी तो समझ से बाहर है।
ये तो बस कुछ का अनुमान बता रहा हूँ लिस्ट काफी लम्बी है, जिसपर हसीं भी आती है और गुस्सा भी, कि सारी मीडिया किस तरह कांग्रेस की कठपुतली बन गयी है। जाहिर सी बात है सरकार अभी कांग्रेस की है तो उसकी तो चाटना ही पड़ेगा। आपको याद होगा गुजरात में सारी मीडिया मोदी को हराने में लगी हुई थी और जब परिणाम आया तो सब बगुले झाकने लगे थे। ऐसा ही कुछ पंजाब और कर्णाटक में भी हुआ था। आने वाला परिणाम जो भी हो पर इस चाटुकार मीडिया को तो हार का सामना करना ही पड़ेगा. ..अरे भाई लोग ये पब्लिक है सब जानती है।
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