फ्लिंटाफ - ७.५५ करोड़, पीटरसन- ७.५५ करोड़, धोनी ६ करोड़...आज खबरिया चैनलों पर क्रिकेटरों की बोली लगते हुए देखा, तो मन में एक ही ख्याल आया कि, काश मैंने भी बचपन में क्रिकेट खेला होता, काश उसपर दिन रात एक कर दिया होता, तो शायद आज मैं भी करोड़ों में खेल रहा होता. आज मुझे एहसास होता है कि जो लाखों रूपये मैंने अपनी पढाई के दौरान खर्च किए, अगर उसे क्रिकेटर बनने में खर्च किया होता, तो शायद आज १०-२० हजार के लिए दिन रात एक नहीं करना पड़ता और मजे से खेल कर भी पैसा कमा रहा होता. खैर अब पछताए होत का जब चिडिया चुग गई खेत।
जिस तरह से IPL में क्रिकेटर बिक रहे है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, आज अगर सबसे ज्यादा पैसा किसी धंदे में है तो वो क्रिकेट में है. तभी तो फिल्मी सितारे हों या राजनीती की गोटियाँ खेलने वाले नेता, सभी किसी न किसी रूप में क्रिकेट से जुड़ रहे है और करोड़ों के बारे न्यारे कर रहे है. वैसे हमेशा से एक बहस चली आ रही है कि असली हीरो कौन है, "क्रिकेटर" जो देश के लिए खेलते है या फ़िर परदे के "फिल्मी हीरो" जो लाखों दिलों पर राज करते है. इस बहस में हमेशा से क्रिकेटर, फिल्मी हीरो से एक कदम आगे रहे है. लेकिन जिस तरीके से क्रिकेटरों का भाव लग रहा है, वे IPL के बाज़ार में बिक रहे है उसे देखकर मन में सबाल उठता है कि, क्या बाकई में ये क्रिकेटर देश भावना के लिए खेलते है या फ़िर पैसा ही इनके लिए सबकुछ है.
जनाब पैसा बोलता है और IPL के बाजार में भी पैसा बोल रहा है. तभी तो एक - एक प्लेयर करोड़ों में बिक रहा है चाहे वो भारतीय हों या विदेशी. एक ओर जहाँ हमारा देश घोर आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, लोंगों को नौकरियां बचाने के लिए जद्दोजहत करनी पड़ रही है, वहीँ इसे देश कि विडंबना ही कहेंगे कि दूसरी ओर क्रिकेट में लग रही बोली में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है.
खैर इस देश का तो कुछ नही हो सकता, और आप के बारे में भी मुझे नहीं मालूम, लेकिन IPL में लग रही इस बोली से एक सबक तो मैंने सीख ही लिया कि, मैं तो क्रिकेट नही खेल पाया, लेकिन अपने बच्चों को मार-मार के क्रिकेटर जरूर बनाऊंगा.
भाई अब काश करने से क्या होता है ...अब तो आप मौका चूक गए ना
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