Sunday 15 February 2009

युवाओं का फैशन हो गया है...नेताओं को गाली बकना।

एक वक्त था, जब आम लोग नेताओं के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर काम किया करते थे। लोग नेता कहलाने में फक्र महसूस किया करते थे। नेताओं का मतलब हुआ करता था, समाज की सेवा करने वाला व्यक्ति, लेकिन आज राजनीती एक दलदल में परिवर्तित हो गई है, हर नेता लोगों का खून चूसने में लगा हुआ है। ऐसे में हमारा आने वाला कल यानि "युवा" हाँथ पर हाँथ धरे बैठे हुआ है। युवाओं का फैशन हो गया है, नेताओं को गाली बकना। जब भी युवाओं से राजनीति की बात की जाती है, तो पहले वो इस पर बात करने से बचते है और अगर बात आगे बढ़ी, तो नेताओं को गाली देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है। कोई नेताओं को भ्रष्टाचारी कहता है, तो कोई उन्हें देश का दुश्मन करार दे देता है।

अब सवाल ये उठता है, की नेताओं को गाली देना कितना सही है। मेरे नज़रिये से अकेले नेताओं को देश की बर्बादी के लिए जिम्मेदार ठहराना ग़लत है। देश की बर्बादी के लिए हम और हमारा युवा वर्ग भी उतना ही जिम्मेदार ,है जितने ये भ्रष्ट नेतागण, क्योंकि जब भी इन्हे चुनने की बारी आती है, तो हमारे युवा पहले तो वोट नहीं देते है और जो देते है, वो एक दारू की बोतल या फ़िर १०० रुपये के कम्बल में अपना वोट बेंच देते है और पॉँच साल तक फ़िर नेताओं को गाली देने का क्रम चालू हो जाता है। मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि इन युवाओं को जिनका राजनीति में कोई योगदान नहीं है, किसने ये हक़ दिया कि वो नेताओं को गाली दे।

जब भी हमारे देश में बच्चा पैदा होता है, तो उसके माँ बाप कहते है कि, मैं अपने बच्चे को डोक्टर, पायलट या इंजिनीअर बनाऊंगा, लेकिन ये कोई नहीं कहता कि, मेरा बेटा बड़ा होकर नेता बनेगा। चलिए मैं भी ये नहीं कहता कि सभी को नेता बनना चाहिए, लेकिन एक सही व्यक्ति का चुनाव करने में सभी को योगदान देना चाहिए। अब इस पर भी हमारे युवा कहेंगे कि सभी उम्मीदवार एक जैसे होते है।जिसे चुनकर लाओगे वही पैसा खायेगा। मैं उन सब लोगों से पूछना चाहता हूँ, कि एक आदर्श नेता कैसा होता है, लोगों के हिसाब से इमानदार, मेहनती, युवा व्यक्ति ही सच्चा नेता होता है, लेकिन वो कहेंगे ऐसे लोग चुनाव मे खड़े नहीं होते।
मैं एक उदाहरण देना चाहूँगा, अभी पिछले साल ही उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए है, जहाँ कानपुर से सात IIT के छात्र चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन सबसे चौकाने वाली बात ये है कि, उनमे से एक भी छात्र अपनी जमानत नही बचा पाया. अब गौर करने वाली बात आती है कि, IIT के छात्र पढ़े लिखे भी होते है, इमानदार भी है और युवा तो वो है ही, लेकिन इसके वाबजूद लोगों ने उन्हें वोट क्यों नहीं दिया ? अब इस बात का जवाब तो हमारा युवा वर्ग ही दे पायेगा, लेकिन इतना तय है, कि अगर अब भी हमारे युवाओं ने नेताओं को गाली देना नहीं छोड़ा और देश के विकास के लिए योगदान देने आगे नहीं आए, तो आगे भी हमारा देश पप्पू यादव, मुख्तार अंसारी और सहाबुद्दीन जैसे बाहुबली नेताओं के चंगुल में फसकर बर्वाद होता रहेगा...और फ़िर इन बाहुबली नेताओं को गाली भी नहीं दे पाओगे।

2 comments:

  1. भाई नेताओ और युवाओ का जो नाता आज हमारे देश में बन गया है वो दरअसल सास बहु की तरह है... नेता युवाओ को वोट ना देने के लिए कोसते है, और युवा नेताओ को उनके रवैए के लिए गाली देते है... ये सिलसिला यूं ही चलते रहेगा

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