Friday, 20 February 2009

ब्लोगिंग भी चली देसी मीडिया की राह पर..

मै एक अदना सा ब्लोगर हूँ। ब्लॉग की दुनिया में कदम रखे हुए मुझे ज्यादा लंबा अरसा नहीं हुआ है। पर पता नहीं क्यों पिछले कुछ समय से एक बात मेरे दिमाग में कौंध रही थी, रह रह कर मुझे लिखने के लिए उत्तेजित कर रही थी, वो यह कि ब्लोगिंग भी अपने मूल सिद्धांतों से भटक रही है। मैंने ब्लॉग जगत को जितना जाना है, जितना परखा है, उसके मुताबिक हम ब्लोगर्स अपने अपने ब्लॉग और टिप्पणियों में हमेशा मीडिया की आलोचना करते रहे है। कभी उसके नॉन न्यूज़ को लेकर, तो कभी सेक्स परोसे जाने को लेकर, तो कभी ख़बर को सनसनीखेज बनाने को लेकर, तरह तरह से मीडिया की आलोचना ब्लॉग जगत में होती रही है। ये बात में भी मानता हूँ कि मीडिया की आलोचना के लिए ख़ुद मीडिया ही जिम्मेदार है। लेकिन अगर ब्लॉग जगत की बात की जाए ,तो वो भी इससे अछूता नही रहा है। आज ब्लोगिंग भी हमारे देसी मीडिया की राह पर चलती हुए दिखाई दे रही है, हालाँकि ब्लोगिंग एक माध्यम है अपनी बात को कहने का, हर किसी को हक़ है कि वो ब्लॉग के जरिये अपनी बात को लोगों तक पहुंचाए, लेकिन उसका तरीका सही होना चाहिए। उसकी भाषा सभ्य होना चाहिए। उससे कोई फर्क नहीं पड़ता की मुद्दा क्या है।

आज ब्लॉग जगत में भी वही सब परोसा जा रहा है, जिसके लिए हम भारतीय मीडिया की आलोचना करते है। जिस तरह से मीडिया में सेक्स को बेचा जाता है, ठीक उसी तरह ब्लॉग जगत में भी सेक्स से जुड़ी खबरे काफी तादाद में देखने को मिल रही है और ऐसे ब्लोगों पर टिप्पणियों की हो रही बरसात को देखकर लगता है, कि यहाँ भी सेक्स को तबज्जो देने वाले लोगों की कमी नही है। ब्लॉग जगत में भी मीडिया की ही तरह ख़बरों की भाषा बद से बदतर होती जा रही है, जिसका उदाहरण हम मंगलोर में हुई घटना के बारे में ब्लॉग पर देख ही चुके है। यहाँ भी टिप्पणी पाने के लिए ख़बरों को सनसनीखेज बनाया जा रहा है। एक ब्लॉग पर दिल्ली स्कूल के MMS को लेकर मीडिया की धज्जियाँ उडाई जा रहीं है, कि मीडिया लड़की की पहचान सार्वजनिक कर रही है, पर इसी तरह की एक छेड़खानी की घटना को ब्लॉग जगत भी तो बिना पहचान छिपाए चटकारे लगाकर बता रहा है। क्या उससे उस व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक नहीं हो रही है।

अब ये सवाल उठाना तो लाज़मी है कि, क्या ब्लॉग जगत भी देसी मीडिया की राह पर नहीं जा रहा है ? मेरे नज़रिये से तो बिल्कुल ब्लॉग जगत हमारे तथाकथित मीडिया से कदम से कदम मिलकर चल रहा है। जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए, नहीं तो इस दौर की पत्रकारिता का सबसे सशक्त माध्यम बन कर उभर रहे ब्लॉग जगत को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता। ब्लॉग जगत में बड़े-बड़े पत्रकारों से लेकर कई बुद्धिजीवी लोग भी बैठे हुए है, मै उनके विचार जानने के साथ साथ उनसे यह आशा भी करता हूँ, कि वो भी ब्लॉग जगत के भटक रहे क़दमों को रोकने का प्रयास करेंगे।

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया भाई चला चली का रेला है रे चला चली का

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  2. सारे ब्लॉगजगत को एक तराजू में न तौलें..बहुतेरे ब्लॉग हैं जो आपके मन माफिक होंगे.

    खुला स्वतंत्र जगत है यह-अपनी पसंद अपने विवेक से करें..

    नजरअंदाज करने का अधिकार तो आपके पास हर ब्लॉग के लिए है ही, फिर काहे की परेशानी.

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  3. समीर जी, आपकी बात से सहमत हूँ कि सारे ब्लॉग एक जैसे नहीं होते, लेकिन कई ब्लॉग ऐसे है, जिसका टोपिक कुछ और होता है अन्दर कुछ और पड़ने को मिलता है. खैर हम तो यही दुआ करेंगे कि जो भी कीचड़ है वो भी जल्द ही साफ हो जाए.

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  4. dear blog me har trah kee ray aap ko padhne ke milenge ..haa aahil or seby post nahi hona chiahye lekin bhadas nikaln se to mut roko. yaha par censor kee kanchi mut chalaw
    latikesh
    mumbai

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