Sunday 8 February 2009

राम...अब नहीं आएंगे काम


भगवान राम एक ऐसा नाम है, जिसपर लाखों लोगों की श्रद्धा है। जिनके नाम से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. राम हिंदू धर्म के इष्ट देव कहलाते है. वैसे हिंदू धर्म में कभी राम का बर्चस्व नहीं रहा, क्योंकि हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं को सामान रूप से पूजा जाता है, लेकिन देश की एक बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी में हमेशा से ही राम नाम की तूती बोलती है. पार्टी के बैनर से लेकर पार्टी स्लोगन भी राम नाम से ही होते है. एक समय में बीजेपी का नारा हुआ करता था, जो राम का नही वो किसी काम का नहीं। इसी राम नाम के सहारे अब तक बीजेपी अपनी नैया पार करती रही है. लेकिन यथार्त के धरातल पे आते ही बीजेपी को राम की याद आना बंद हो जाती है. जब भी लोगों को बरगलाना हो या चुनावी रोटियां सेंकनी हो, तो राम मन्दिर और राम सेतु जैसे मुद्दों के सहारे समय समय पर बीजेपी को भी राम की याद आ ही जाती है.

पिछले ५ सालों से राम के नाम पार खामोश रही बीजेपी को चुनावों के ठीक पहले फ़िर से राम और राम मन्दिर की याद आ गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी के चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए एकबार फ़िर से राम मन्दिर का वही पुराना घिसा पिटा राग अलापा है, जिसमे बड़े जोश के साथ राजनाथ सिंह ने कहा, कि सत्ता में आने के बाद राम मन्दिर का निर्माण कराया जाएगा. इस मन्दिर मुद्दे को बीजेपी एक बार फ़िर से भुनाना चाह रही है और इसके सहारे फ़िर से सत्ता पर काबिज होने का सपना भी देखने लगी है. अब ये बात किसी को हजम नही हो रही है, कि जिस राम मन्दिर के सहारे बीजेपी ने ६ साल तक सत्ता का सुख भोगा, उसी बीजेपी ने अपने पूरे कार्यकाल में राम मन्दिर बनवाना तो दूर, उसके बारे में बात करना तक गबारा नहीं समझा. अब सबाल ये उठता है की क्या वही बीजेपी दोबारा सत्ता में आकर मन्दिर निर्माण करवा पायेगी.

राजनाथ जी ये बदलते दौर का भारत है, अब राम आपके काम नहीं आएंगे। अब यहाँ की जनता ना ही आपके बहकावे में आने वाली नही है और ना ही आप जैसी मौकापरस्त पार्टियों को घांस डालने वाली है। राम में हर हिंदू की आस्था है और राम मन्दिर हर हिंदू की दबी हुए अभिलाषा भी है, लेकिन अब वह हिंदू आप जैसे लोंगों की चिकनी चुपडी बातों में आकर फिसलने वाला नही है। अब राम के नाम पर ना ही कोई राम सेतु तोड़ सकता है और ना ही सरकार बना सकता है।

अंत में चंद लायने हम सबके लिए.....

"जो हिंदू न मिटा है, कंस की तलवार से
जो हिंदू न डरा है, रावण की ललकार से
वो हिंदू क्या फसेगा, बीजेपी की बकवास से"



1 comment:

  1. भाई बिल्कुल सही कहा ...ये पार्टियाँ तो बस रोटियां सकती है .....बस चुनाव के समय याद आती है ...वरना एसी में बैठकर कहाँ याद रहता है सब


    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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