लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने का दम भरने वाली मीडिया इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। आम हो या खास हर आदमी मीडिया की आलोचना कर रहा है। जो आदमी पहले मीडिया को लोकतंत्र का हितैषी कहता था, अब उसी मीडिया को देश के लिए खतरा बता रहा है ।सही भी तो है, हमेशा आम आदमी के सरोकार की दुहाई देकर अपनी दुकान चलाने वाली मीडिया, अब उसी आम आदमी को ठेंगा दिखा रही है. TRP की अंधी दौड़ में भाग रही मीडिया के लिए अब हाई प्रोफाइल लोग ही ख़बर बनते है. जब भी किसी की हत्या होती है या फ़िर किसी के साथ बलात्कार होता है, तो अपने को पत्रकार कहने वाले मीडिया के उच्च पदों पर बैठे लोग पीड़ित की प्रोफाइल पूंछते है, अगर पीड़ित किसी डॉक्टर, इंजिनियर, या फ़िर फिल्मी दुनिया से जुड़ा कोई शख्स है, तो वो उनके लिए ख़बर है अगर इससे नीचे कोई है, तो उसे पूंछने की जहमत भी कोई मीडिया हाउस नही उठाता.
पिछले ४ दिनों से मीडिया, हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चाँद और उनकी बीबी फिजा की नौटंकी को दिखा रहा है, जिससे आम आदमी का कोई सरोकार नही है. कोई उसे सबसे तेज़ दिखा रहा है, तो कोई उस ख़बर को हर कीमत पर दिखा रहा है. कोई कहता है, कि उसकी नज़र हर ख़बर पर है. ख़बरों के नाम पर नंगापन परोसना, अपने मन मुताबिक उन्हें सनसनीखेज बनाना, आज मीडिया का काम बनता जा रहा है। आखिर मै इस बात को अब तक नहीं समझ पा रहा हूँ कि भूत प्रेत और कुत्ता बिल्ली का खेल दिखाने वाले इस मीडिया को समाचार चैनल कहा जाए या फ़िर मनोरंजन चैनल।
जिस तरह से आरूषी का फर्जी MMS दिखाया गया और जिस तरह से मुंबई हमले की रिपोर्टिंग कि गई, उससे कुछ भला तो नही हुआ, उल्टा मरने के बाद भी एक लड़की बदनाम हो गई और दूसरा, आतंकवादी ६० घंटे तक मुंबई को अपनी गिरफ्त में लेकर अपनी मनमानी करते रहे .२६/११ के इस हमले के बाद भी मीडिया को ताज और ओबेरॉय की याद अब तक आ रही है, लेकिन CST और नरीमन हाउस अब उन्हें याद नहीं है. क्योंकि इस मीडिया को आम आदमी का दर्द कभी दिखाई ही नही देता. ठीक है अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए TRP कि दौड़ मै दौड़ना जरुरी है, लेकिन फ़िर क्यों ये मीडिया वाले अपने को समाज का सच्चा हितैषी बताते है. अभी भी बक्त है मीडिया को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए, कि जिस आम आदमी ने उन्हें हीरो बनाया है वही उसे जीरो भी बना सकता है.
बात तो है भाई ...इसमे ...अच्छा लेख
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
भाई तुम कैसे कह सकते हो कि जनता का सरोकार नहीं है चांद मोहम्मद की खबर से.......?
ReplyDeleteसरोकार है भाई, याद रखो... मीडिया फोकट में कुछ नहीं करता। मीडिया को एनजीओ या धार्मिक संगठन नहीं जो समाजसेवा करे। मीडिया वही दिखाता है जो जनता पसंद करे। इसीलिए चांद वाली खबर दिख रही है टीवी पर। और मीडिया कोई खतरा-वतरा नहीं है। निश्चिंत रहो....
कौन बताता है खुद को समाज का सच्चा हितैषी ज़रा ये भी बताना
pyala.blogspot.com
Public to bahut kuch pasand karti hai to kya vo sab dikhaoge?
ReplyDeleteमिडिया अपने-आप में एक समस्या है। भारत का मिडिया बिका हुआ है। उसका अपना खुद का छिपा हुआ एजेण्डा है। उसमें ऐसे लोगों की भरमार है जिनमे सही सोचने-विचारने और तर्क करने की क्षमता का निहायत ही अभाव है। हाल ही में पद्म-पुरस्कारों की रेवड़ियों के वितरण में उन पत्रकारों की पौ बारह हो गयी जो सत्ताधारी दल की ढपली बजाते रहे हैं।
ReplyDeleteऐसा करें ये न्यूज़ वाले की नेकेड न्यूज़ की तर्ज़ पर चैनल शुरू कर दें, टीआरपी रामायण महाभारत से भी आगे जायेगी. आख़िर पब्लिक को सेक्स तो किसी भी चीज़ से ज़्यादा पसंद है. कैसा आइडिया है, एनडीटीवी, इंडिया टीवी, आजतक के की टीआरपी बढ़ाने का? एकदम मंदी प्रूफ़!
ReplyDeleteयार
ReplyDeleteमीडिया क्या करे ....क्या मीडिया में पत्रकारों की चलती है . प्रोफिट कमाना है . सब कुछ करना पड़ता है . हमाम में हम सब नंगे है .
लतिकेश
मुंबई
मीडिया को लेकर बड़ा गुस्सा है आपके दिल में.. कुछ हद तक सही भी है, क्योकि जिस तरह से एक दुसरे से आगे निकलने की दौड़ में इस तरह से ग़लत ख़बरे मीडिया चलती है वो कभी अफ़सोस जनक है..मीडिया को लोकतंत्र में अपनी अहमियत को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिए...
ReplyDeleteआप का विचार बिल्कुल सही है ,पत्रकारिता और समाज सेवा एक ही काम है, अगर इस में भी भेद भाव होगा तो ये पत्रकारिता का अपमान है ,,,संकेत आप लगे रहो ,,इसी तीखे अंदाज़ में लिखते रहो मेरी शुभकामनाये आप के साथ है
ReplyDeleteALI
आप का विचार बिल्कुल सही है ,पत्रकारिता और समाज सेवा एक ही काम है, अगर इस में भी भेद भाव होगा तो ये पत्रकारिता का अपमान है ,,,संकेत आप लगे रहो ,,इसी तीखे अंदाज़ में लिखते रहो मेरी शुभकामनाये आप के साथ है
ReplyDeletevery nice post achcha likha hai aapne post ke liye aapka shukriya
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