स्टिंग ऑपरेशन एक ऐसा ऑपरेशन होता है, जिसमे डॉक्टर भी मीडिया वाले होते है और मरीज भी उनका मनचाहा होता है. डॉक्टर से मेरा मतलब रिपोर्टर या कैमरामैन से है और मरीज का मतलब वो व्यक्ति जिसे निशाना बनाया जाता है. स्टिंग ऑपरेशन करने से पहले बाकायदा उसका खाका तैयार किया जाता है, दाना डालने में माहिर रिपोर्टर चुना जाता है, दाना डालने से मेरा मतलब है, मरीज को फ़साने के लिए लम्बी लम्बी हांकना और इसके बाद अच्छे कैमरामैन का चुनाव होता है. फ़िर चुना जाता है उस किरदार को जो पूरी स्टोरी का अहम हिस्सा होता है, यानि मरीज... जिसे बकरा भी कहा जाता है. स्टिंग ऑपरेशन में सबसे महत्वपूर्ण होता है कैमरा, जिसके लिए कुछ उन्नत किस्म के छोटे कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है, जो सामने वाले को आसानी से दिखाई नही देते। इन सारी चीजों को जब अमल में लाया जाता है तब होता है स्टिंग ओपरेशन.
मीडिया में स्टिंग ऑपरेशन का चलन काफी पहले से है, पहले प्रिंट मीडिया भी स्टिंग ओपरेशन किया करती थी। अब स्टिंग ओपरेशन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अभिन्न अंग हो गया है। समय समय पर चैनल स्टिंग ऑपरेशन करता आया है। तहलका, इंडिया मोस्ट वांटेड, कोबरा पोस्ट जैसे प्रोग्राम स्टिंग ऑपरेशन के लिए ही जाने जाते है। पैसे लेकर सबाल पूछने का मामला हो, शक्ति कपूर, अमन वर्मा का स्टिंग हो या फ़िर गुजरात चुनाव के पहले किया गया गोधरा कांड का स्टिंग हों, सभी ने हिन्दी चैनलों पर काफी धूम मचाई है। स्टिंग ऑपरेशन आजकल न्यूज़ कम और रिपोर्टर को तरक्की देने वाला माध्यम अधिक बनता जा रहा है, जिससे इसकी सार्थकता पर भी असर पड़ा है।
सवाल ये उठता है कि स्टिंग ऑपरेशन कितना सही होता है, आजकल मीडिया के कई दिग्गज भी स्टिंग के ऊपर सवाल उठा रहे है. जिसमे महान पत्रकार कुर्बान अली तो यहाँ तक कहते है की, सभी स्टिंग ऑपरेशन ब्लैकमेल करने के लिए होते है. लेकिन मीडिया में ऐसे लोंगो की कमी भी नहीं है, जो इसे जायज़ ठहराते है. दरअसल स्टिंग पत्रकारों के लिए तुरत - फुरत पैसे कमाने का माध्यम बन गया है. मीडिया ने ऐसे कई स्टिंग ऑपरेशन किए है जिसे फर्जी साबित भी किया गया है, जिनमे एक राष्ट्रीय चैनल के द्वारा किया गया, दिल्ली का उमा खुराना का स्टिंग काफी चर्चा में रहा था. इसके अलावा गोधरा स्टिंग पर भी सवाल उठे थे कि, ये ख़ुद मोदी ने करवाया है. कई स्टिंग मीडिया ने लोगों के बेडरूम तक में जाकर किए है, जिसे हरगिज सही नही ठहराया जा सकता, हालाँकि ऐसा नही है, कि सारे स्टिंग ऑपरेशन फर्जी रहे है, लेकिन जो मीडिया आज अपने को समाज का ठेकेदार कहने से बचने लगी है, उसे किसने ये अधिकार दिया है, कि किसी के घर में घुसकर उसकी निजी जिन्दगी से खिलवाड़ किया जाए. वो भी तब जब उसका ख़ुद का दामन दागदार हो...
संकेत जी,
ReplyDeleteआपने जो लिखा है वो बिल्कुल सही है, क्योंकि आजकल के पत्रकारों ने स्टिंग ऑपरेशन को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है.
एक स्टिंग आपरेशन से समाज और देश की स्थिति सुधरनेवाली नहीं.....बेवजह एक आदमी को परेशान और ब्लैकमेल करने की वजह पत्रकारों को मिल जाती है।
ReplyDeleteaap ke lekh se mai sahmat hoon.
ReplyDeleteme v puri tarha se sehmat hu
ReplyDeleteme v puri tarha se sehmat hu
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